hindisamay head


अ+ अ-

कविता

बैंडबाजे वाले

नरेश अग्रवाल


आधी रात में
बैंडबाजे वाले
लौट रहे हैं
वापस अपने घर
अंधकार के पुल को
पार करते
जिसके एक छोर पर
खड़ी है उनकी दुखभरी जिंदगी
और दूसरे छोर पर
सजी-धजी दुनिया।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में नरेश अग्रवाल की रचनाएँ